Vikram Aur Betaal | चार राजकुमार | The Four Princes | Hindi Story

Posted by :- TARUN

Vikram Betal

बहुत पुरानी बात है, मिथिला में उदय दित्य नामक एक बुद्धिमान राजा थे वे अपनी प्रजा को बहुत प्रिय है उनकी प्रजा उन्हें उनकी दयालुता, समानता तथा न्याय प्रियता के लिए बहुत पसंद करती थी।

Four Prince

 राजा की रूपमंजरी नामक एक पुत्री थी, जो बहुत ही बुद्धिमान तथा सुंदर थी।  रूप मंत्री को जो भी देखता था, बस देखता ही रह जाता था।  जब वह विवाह के योग्य हुई तो उसके लिए ढेरों रिश्ते आने लगे। राजा और रानी के लिए योग्य वर का चुनाव करने की समस्या खड़ी हो गई।

 एक दिन उदय अपने सजे हुए दरबार में बैठे थे, तभी एक सुंदर राजकुमार वहां आया। सादर अभिवादन कर रहे बोला, “ मैं कलिंग का राजकुमार हूं और राजकुमारी से विवाह की इच्छा लेकर आया हूं”।

 राजा ने कहा, “ मैं तुम्हारी इच्छा का सम्मान करता हूं।

 कलिंग हमारा पड़ोसी मित्र राज्य है। तुम से राजकुमारी का विवाह करने से हमारे संबंध और भी गहरे बन जाएंगे। तुम राजवंश के भी हो परंतु तुममे ऐसी कौन सी कौन सी विशेषता है, जो तुम्हें दूसरों से अलग करती है?

राजकुमार बोला, “ महाराज! मैं एक योद्धा हूं और बहुत अच्छे गुरुओं के द्वारा युद्ध विद्या में पारंगत हूं। मैं अपने देश ही सेना का सेनापति हूं और कई युद्ध में जीत चुका हूं”।

राजकुमार की  बात सुनकर राजा ने प्रसन्न होकर राजकुमार को अपने महल में राजकीय अतिथि के रूप में राजकुमारी का निर्णय आने तक रुकने के लिए कहा।

 अगले दिन राजसभा में दूसरा राजकुमार उपस्थित हुआ और राजकुमारी के साथ विवाह करने की इच्छा से बोला, “ महाराज, मैं जनकपुर का राजकुमार हूँ। मैंने बहुत सारी धार्मिक पुस्तकें पढ़ी हैं और काफी समय से जीवन का सत्य ढूंढ रहा हूं। ज्ञान की अपूर्व चाहा कि मुझे सबसे अनुपम बनाती है”।

 राजा राजकुमार से बहुत प्रभावित हुआ और उसे अपने महल के अतिथि गृह में कुछ दिन ठहरने के लिए कहा।

 तीसरे दिन वैशाली का राजकुमार दरबार में उपस्थित हुआ और रूपमंजरी से विवाह की इच्छा से बोला, “ महाराज, मुझे प्रकृति मां का आशीर्वाद प्राप्त है। मैं पशु पक्षियों की भाषा को समझ सकता हूं”।  राजा ने उसके गुणों की प्रशंसा करते हुए उसे भी महल के अतिथि गृह में राजकुमारी के निर्णय तक रुकने के लिए कहा।

 चौथे दिन मालव्य राजकुमार आया।  उसने भी राजकुमारी से विवाह की इच्छा बताते हुए कहा, “ महाराज, मैं बहुत ही धनी राज्य का राजकुमार हूं। मेरा मानना है कि धन से ही प्रगति होती है। मैं एक व्यापारी हूं और धन से धन कमा सकता हूं”।

 चारों राजकुमारों का विवरण सुंदर राजा और रानी निर्णय की स्थिति में आ गए। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे किसे अपनी पुत्री के योग्य पर चुने।  उन्होंने अंत में निर्णय राजकुमारी पर ही छोड़ दिया।

 इतना कहकर बेताल रुक गया और राजा से पूछा, “ राजन्! आप ही बताइए राजकुमारी को कितना चाहिए? उसकी बुद्धिमानी और सुंदरता के हिसाब से कौन सबसे अधिक योग्य वर है?”

Vikram Betal

 विक्रमादित्य नें तुरंत उत्तर दिया, “ यदि राजकुमारी सच में बुद्धिमान हैं तो वह कलिंग के राजकुमार को चुनेगी। जनकपुर का राजकुमार विद्वान तो है, पर अच्छा शसाक तक नहीं बन सकता है।वैशाली के राजकुमार पर प्रकृति मां की कृपा है, वह पशु पक्षी की भाषा समझ सकता है, पर युद्ध की स्थिति में उसका यह गुण किस काम का? मालव्य का राजकुमार एक अच्छा व्यापारी तो है, पर राजा बनने के लायक नहीं है। यदि  राजकुमारी समझदार है  तो वह अपने लोगों के भले को देखते हुए  कलिंग के राजकुमार को ही चुनेगी”।

“तुम सही हो राजन्!” ऐसा हुआ देपालपुर कर वापस पीपल के पेड़ पर चढ़ गया।

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